Missing Submarine Titan: अटलांटिक महासागर में टाइटैनिक जहाज का मलबा खोजने के अभियान पर गई और फिर लापता हुई सबमरीन टाइटन का मलवा मिल गया है. इस पनडुब्बी में पांच लोग सवार थे. आशंका जताई जा रही है कि सभी की मौत हो गई होगी. सवाल ये उठता है कि लापता पनडुब्बी में लोग कैसे और कितने समय तक जिंदा रहते हैं? लोगों को कौन-कौन से खतरों का सामना करना पड़ता है? इनमें सबसे बड़ा खतरा कौन सा होता है, जिससे निपटना नामुमकिन हो जाता है?
लापता पनडुब्बी टाइटन का मलवा तो मिल गया है, लेकिन आशंका जताई जा रही है कि इसमें सवार पांचों लोगों की मौत हो गई होगी. बताया जा रहा है कि टाइटैनिक का मलबा खोजने गई सबमरीन टाइटन की ऑक्सीजन भी अब खत्म होने वाली है. अब ये बताना मुश्किल काम नहीं है कि अगर पनडुब्बी में ऑक्सीजन पूरी तरह से खत्म हो जाएगी तो क्या होगा? विशेषज्ञों का कहना है कि अगर कार्बन डाइऑक्साइड स्क्रबर नष्ट हो गए तो सबमरीन में ऑक्सीजन का स्तर कम होता जाएगा और पांचों लोगों की मौत में कुछ ही घंटे लगेंगे. जानते हैं कि लापता सबमरीन में कितने समय तक जिंदा रह सकते हैं सवार.
सबमरीन टाइटन और उसमें सवार लोगों को खोजकर बचाने के लिए बचाव दल लगातार गहरे समुद्र की खाक छान रहे थे. विशेषज्ञों के मुताबिक, 22 फीट की सबमरीन टाइटन में बिजली खत्म हो चुकी होगी. ऐसे में उसके कार्बन डाइऑक्साइड स्क्रबर्स ने काम करना बंद कर दिया होगा. इससे सबमरीन में कार्बन डाइऑक्साइड का स्तर लगातार बढ़ रहा होगा ओर ऑक्सीजन का स्तर घट रहा होगा. यही उनके लिए सबसे बड़ा खतरा है.
किसी भी सबमरीन में स्क्रबर्स का काम सीमित जगह में कार्बन डाइऑक्साइड के जहरीले स्तर को फिल्टर करना है. आसान भाषा में समझें तो स्क्रबर्स किसी छोटी जगह पर कार्बन डाइऑक्साइड के स्तर को खतरे के स्तर से नीचे बनाए रखना है. वहीं, सीमित जगह में ऑक्सीजन के स्तर को बनाए रखना भी सक्रबर का ही काम है. इससे सुरक्षित सांस लेने का वातावरण बना रहता है.
न्यूफाउंड लैंड की मेमोरियल यूनिवर्सिटी में हाइपरबेरिक मेडिसिन विशेषज्ञ डॉ. केन का कहना है कि अगर पनडुब्बी के लोग बेहोश हो जाते हैं तो समुद्र की गहराई में कम तापमान के कारण उन्हें हाइपोथर्मिया का खतरा भी होता है. डॉ. डेल मोले ने कहा कि पूरे हालात में सबसे बड़ा खतरा कार्बन डाइऑक्साइड से है. अगर बैटरी की शक्ति खत्म हुई तो स्क्रबिंग प्रणाली काम नहीं करेगी. इससे खतरा बढ़ता है.
अमेरिकी कृषि विभाग के मुताबिक, ज्यादा कार्बन डाइऑक्साइड के कारण ऑक्सीजन की कमी वाली हवा में दम घुटने से मौत हो सकती है. विशेषज्ञों के मुताबिक, बिना ऑक्सीजन के कोई भी सामान्य व्यक्ति ज्यादा से ज्यादा 15 मिनट तक ही जिंदा रह सकता है. डॉ. मोले का कहना है कि जब लोग ऑक्सीजन में सांस लेते हैं तो कार्बन डाइऑक्साइड के साथ ऑक्सीजन भी बाहर निकालते हैं. इसकी मात्रा 21 से 17 फीसदी होती है. लेकिन बिना ऑक्सीजन वाले वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड का स्तर बढ़ता जाएगा और सांस लेने पर दम घुट जाएगा. लिहाजा, उनको खोजने का अभियान काफी तेज चल रहा है.